कलिकाल के प्रत्यक्ष देवता हैं हनुमानजी :-देवराहाशिवनाथदास
रिपोर्ट आकाश कुमार बिहार के आरा से
परमपूज्य त्रिकालदर्शी, परमसिद्ध,विदेह संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज का आज बड़हरा के कृष्णगढ़ थानाक्षेत्र के जगतपुर -पकड़ी में आगमन होने पर हाथी, घोडा, गाड़ी,गाजा-बाजा के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई।वहीं चारपहिया वाहन और बाईक सवार श्रद्धालु भक्त अपने हाथों में भगवा झंडा लिए देवराहा बाबा की जय,संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज की जय,जयश्रीराम का गगनभेदी उद्घोष कर रहे थे।वहीं यह भव्य शोभायात्रा सार-सिवान से पकड़ी होते हुए जगतपुर पहुंची और वहां पर जाकर विशाल जनसमूह में परिणत हो गई।जहाँ पर संकीर्तन का आयोजन किया गया।वहीं संकीर्तन के पूर्व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए त्रिकालदर्शी संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज ने कहा कि छिति जल पावक गगन शरीरा पंच रचित अति अधम शरीरा।यह शरीर पंचतत्वों से बना है।
इसलिए इस क्षणभंगुर शरीर को नश्वर मानना चाहिए।मानव शरीर हमें सत्कर्म करने,और हरि भजन करने के लिए ईश्वर की ओर से दिया गया है। इसीलिए हमें ईश्वर का भजन करना चाहिए। संतश्री ने आगे कहा कि श्री हनुमान जी कलिकाल के प्रत्यक्ष देव हैं।
वहीं श्री हनुमानजी को माता जानकी से आशीर्वाद मिला है कि अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहुँ बहुत रघुनायक छोहू॥
करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना। निर्भर प्रेम मगन हनुमाना। माता जानकी ने हनुमानजी से कहा कि
हे पुत्र! तुम अजर (बुढ़ापे से रहित), अमर और गुणों के खजाने होओ। श्री रघुनाथजी तुम पर बहुत कृपा करें। ‘प्रभु कृपा करें’ ऐसा कानों से सुनते ही हनुमान जी पूर्ण प्रेम में मग्न हो गए। संतश्री ने आगे कहा कि हनुमानजी राम नाम के रसिक हैं। जहां राम का नाम होता है,वह स्थान तीर्थ है। राम का नाम लेने से जीव दैहिक दैविक और भौतिक तापों से मुक्त हो जाता है। राम नाम लेने वाले पर कभी कलि का प्रभाव नहीं पड़ता है। राम नाम का जहां कीर्तन होता है, वहां किसी न किसी रूप में स्वयं हनुमानजी विराजित रहते हैं। वहीं इस दौरान लोजपा रामविलास जिलाध्यक्ष राजेश्वर पासवान सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त राम नाम का रसपान कर रहे थे।