महा कुंभ के विषय में जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा जी से क्या केवल स्नान पर्याप्त है?
डॉ सुमित्रा अग्रवाल
यूट्यूब वास्तु सुमित्रा
कोलकाता
महा कुंभ हर १२ वर्ष में चार तीर्थस्थलों में से किसी एक पर आयोजित होता है: प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक। इसकी गणना ग्रहों की विशेष स्थितियों और ज्योतिषीय योगों के आधार पर होती है।
इस बार (२०२५ में) महा कुंभ प्रयागराज में हो रहा है क्योंकि ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार कुंभ पर्व का आयोजन तभी होता है जब बृहस्पति (गुरु) मेष राशि में और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह विशेष संयोग इस बार प्रयागराज में बन रहा है।
शिव पुराण और नारद पुराण में उल्लेख:
शिव पुराण के अनुसार, प्रयागराज को तीर्थराज कहा गया है और इसे सबसे पवित्र स्थान माना गया है। यहाँ स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ स्नान को आत्मा की शुद्धि और देवताओं की कृपा प्राप्त करने का साधन बताया गया है।
नारद पुराण में कहा गया है कि कुंभ में स्नान करने वाले व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। नारद पुराण के अनुसार, कुंभ पर्व में प्रयागराज का विशेष महत्व है क्योंकि यह गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्थित है, जो तीर्थों का राजा है।
इन पुराणों में यह भी बताया गया है कि कुंभ पर्व में देवता और ऋषि-मुनि अदृश्य रूप से इस पवित्र स्थल पर आते हैं और वहां का वातावरण दिव्य हो जाता है।
क्या केवल स्नान पर्याप्त है?
सिर्फ स्नान करना भी लाभकारी है, परंतु यदि इसे आध्यात्मिक अनुशासन, ध्यान, और जप के साथ किया जाए, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। २१ दिनों तक “ॐ नमः शिवाय” का जप या अन्य धार्मिक अनुष्ठान कुंभ के आध्यात्मिक लाभों को और गहरा करने के लिए किए जाते हैं।
२१ दिन का महत्व:
आध्यात्मिक शुद्धि: २१ दिन तक किसी मंत्र का जप करने से मन और आत्मा शुद्ध हो जाते हैं, और यह व्यक्ति को कुंभ स्नान के लिए तैयार करता है।
यह स्नान को केवल बाहरी प्रक्रिया न बनाकर आंतरिक शुद्धि का भी माध्यम बनाता है।
शिव-शक्ति का आह्वान: “ॐ नमः शिवाय” का जप भगवान शिव का आह्वान करने का सबसे सरल और शक्तिशाली तरीका है। इससे व्यक्ति के जीवन में शांति और सकारात्मकता आती है।
क्या करना चाहिए?
यदि आप कुंभ स्नान का अधिकतम लाभ चाहते हैं:
स्नान से पहले २१ दिनों तक “ॐ नमः शिवाय” या अपने ईष्ट मंत्र का जप करें।
साधना के दौरान सात्विक आहार और संयमित जीवनशैली अपनाएं।
स्नान से पहले ध्यान करें और प्रार्थना करें कि यह स्नान आपको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करे।
कुंभ का असली महत्व केवल शारीरिक स्नान में नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और ईश्वर के प्रति समर्पण में है।