संविधान,गांधी, अंबेडकर, बुद्ध भगवान और फुले की सोच को मिटाने में लगे है आरएसएस प्रमुख- राहुल गांधी

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राहुल बोले- आरएसएस प्रमुख की नजरों में आजादी और संविधान का कोई मतलब नहीं है

आरएसएस प्रमुख संविधान, गांधी, अंबेडकर, बुद्ध भगवान और फुले की सोच को मिटाने में लगे 

आज लड़ाई संविधान और मनुवाद के बीच है- राहुल गांधी

पिछड़ों और दलितों को प्रतिनिधित्व मिला, सत्ता नहीं; अधिकार अडानी-अंबानी और आरएसएस के पास

नई दिल्ली

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आजादी वाले बयान पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी लगातार हमलावर हैं। राहुल गांधी ने शनिवार को भी आरएसएस प्रमुख को आड़े हाथों लिया। 

बिहार के पटना में ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि हिंदुस्तान को आजादी 1947 में नहीं मिली। ऐसा कहकर वे संविधान को नकारते हैं। क्योंकि उनकी नजरों में आजादी और संविधान का कोई मतलब नहीं है। वह संविधान, गांधी जी, अंबेडकर जी, बुद्ध भगवान जी और फुले जी की सोच को मिटाने में लगे हैं। 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह भी कहा कि आज लड़ाई संविधान और मनुवाद के बीच है। संविधान जहां न्याय और समानता का उपदेश देता है, वहीं मनुवाद केवल घृणा और हिंसा का उपदेश देता है। नरेंद्र मोदी और भाजपा के लोग कहते थे कि लोकसभा चुनाव में 400 से ज्यादा सीटें आने पर संविधान बदल देंगे। भाजपा के लोग संविधान को खत्म करना चाहते थे।लेकिन हिंदुस्तान की जनता ने कहा कि अगर भाजपा इसकी इज्जत नहीं करेगी तो वे उस पार्टी को मिटा देंगे।

राहुल गांधी ने आगे कहा कि आज हिंदुस्तान में विधायकों और सांसदों के पास पावर नहीं है। भाजपा के दलित, ओबीसी और आदिवासी सांसद बताते हैं कि वे एक तरह से पिंजरे में बंद हैं, क्योंकि उनके पास कोई अधिकार नहीं है। यानी कि पावर कहीं और है, प्रतिनिधित्व कहीं और है। उन्होंने कहा कि लड़ाई लड़कर राजनीतिक प्रतिनिधित्व तो मिल गया, लेकिन सत्ता नहीं मिली। जब भाजपा-आरएसएस को पता लगा कि पिछड़ा वर्ग, दलित वर्ग प्रतिनिधित्व ले रहा है, तो वे शक्ति कहीं और ले गए। ये पावर अडानी-अंबानी और आरएसएस के पास चली गई। 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि आज देश में अन्याय के कारण पूरा तंत्र बिखर रहा है। लोगों के पास रोजगार नहीं है, किसान को सही दाम नहीं मिलता, मजदूर को सही मजदूरी नहीं मिलती, क्योंकि देश का सारा धन चंद लोगों के पास जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार के 90 शीर्ष अधिकारियों का भी जिक्र किया, जो बजट सहित हर चीज को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने कहा कि इन 90 अधिकारियों में से दलित-ओबीसी समुदायों से सिर्फ तीन-तीन अधिकारी हैं, जबकि एक आदिवासी समुदाय से है। 

राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना से ही देश की सही स्थिति पता लगेगी। इससे सभी को पता चल जाएगा कि उनकी आबादी कितनी है और भागीदारी कितनी है। कांग्रेस जाति जनगणना अवश्य कराएगी। जाति जनगणना प्रगति के नए प्रतिमान स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के बिना विकास की सही तरीके से बात नहीं की जा सकती है। देश में जातिगत जनगणना के आधार पर ही नीतियां बननी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस जो जाति जनगणना कराएगी, वह बिहार सरकार द्वारा की गई फर्जी जाति जनगणना जैसी नहीं होगी। उन्होंने दोहराया कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा भी हटाई जाएगी। 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आगे कहा, यह अक्सर कहा जाता है कि सभी के लिए समान न्याय की मांग करने के लिए उन्हें भारी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि वह संविधान में निहित न्याय और समानता सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक कीमत चुकाने के लिए भी तैयार हैं।

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