फाइलेरिया उन्मूलन के लिए संचालित नाइट ब्लड सर्वे के लिए लैब टेक्नीशियन को दिया गया प्रशिक्षण

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए संचालित नाइट ब्लड सर्वे के लिए लैब टेक्नीशियन को दिया गया प्रशिक्षण

-ब्लड सैंपल की सही तरीके से पहचान करने से चिन्हित होंगे संभावित फाइलेरिया के मरीज : माइक्रो बायोलॉजिस्ट
-नाईट ब्लड सर्वे में चिह्नित फाइलेरिया संभावित मरीजों को उपलब्ध कराई जाएगी मेडिकल सुविधा
-सामान्य लोगों को फाइलेरिया से बचने के लिए चलाया जाएगा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम

पूर्णिया, 14 जून

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए क्षेत्र में संभावित फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल में एक बार नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम चलाया जाता है। इसमें सभी प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में 20 वर्ष से अधिक उम्र के सभी सामान्य लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाते हैं जिसकी प्रखंड स्तर पर लैब टेक्नीशियन द्वारा जांच करते हुए उनके ब्लड में शामिल माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु की पहचान की जाती है। नाईट ब्लड सर्वे में लोगों के ब्लड सैंपल लेते हुए उसमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की सही तरीके से पहचान करने के लिए पूर्णिया जिले के सभी प्रखंडों के साथ साथ चार शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लैब टेक्नीशियन को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, पूर्णिया में अस्पताल के माइक्रो बायोलॉजिस्ट, पैथोलॉजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट (एचओडी) और जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी द्वारा एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान सभी लैब टेक्नीशियन को माइक्रो फाइलेरिया की पहचान के लिए सही तरीके से ब्लड सैंपल की जांच करते हुए उसमें छिपे फाइलेरिया कीटाणु  की पहचान करने की जानकारी दी गई। एक दिवसीय प्रशिक्षण में मेडिकल कालेज माइक्रो बायोलॉजी ट्यूटर डॉ प्रियंका सिन्हा, पैथोलॉजी हेड ऑफ डिपार्टमेंट (एचओडी) डॉ सुजीत मंडल, जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर. पी. मंडल, भीबीडीओ रवि नंदन सिंह, जिला भीबीडी कंसल्टेंट सोनिया मंडल, पिरामल स्वास्थ्य जिला प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर सनत गुहा, सोमेन अधिकारी, भेक्टर जनित रोग नियंत्रण लिपिक रामकृष्ण परमहंस के साथ सभी प्रखंड स्वास्थ्य केन्द्र और चिन्हित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सभी लैब टेक्नीशियन उपस्थित रहे।

ब्लड सैंपल की सही तरीके से पहचान करने से चिन्हित होंगे संभावित फाइलेरिया के मरीज : माइक्रो बायोलॉजिस्ट

सभी लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षण देते हुए राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल की माइक्रो बायोलॉजिस्ट डॉ प्रियंका सिन्हा ने कहा कि फाइलेरिया के शुरुआती समय में फाइलेरिया के कीटाणु लोगों के शरीर में छुपे हुए रहते और रात में ही एक्टिव होते हैं। रात में ही लोगों के शरीर के ब्लड सैंपल सही तरीके से लेकर माइक्रोस्कोप द्वारा उसकी सही तरह से जांच करने पर फाइलेरिया कीटाणु की पहचान हो सकती है। इसकी पहचान के लिए लोगों के ब्लड सैंपल का थिकनेस महत्वपूर्ण है। व्यक्ति के ब्लड सैंपल में खून की लंबाई 03mm और चौड़ाई 02mm होना चाहिए। लिए गए ब्लड सैंपल की 24 घंटे में जांच होने पर उसमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है। शुरुआती समय में ही शरीर में माइक्रो फाइलेरिया चिह्नित होने पर उसका तत्काल इलाज किया जा सकता है। जिससे संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया संक्रमित होने से सुरक्षित रह सकता है। अगर समय से लोगों द्वारा ब्लड सैंपल जांच नहीं कराया गया तो संबंधित व्यक्ति में माइक्रो फाइलेरिया समय के साथ बढ़ने के लगता है। इससे संबंधित व्यक्ति के शरीर में सूजन शुरू हो जाएगा जिसे खत्म नहीं किया जा सकता। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे में सही तरीके से ब्लड सैंपल इकट्ठा करते हुए उसकी सही तरीके से जांच आवश्यक है। मेडिकल कॉलेज एचओडी द्वारा उपस्थित सभी लैब टेक्नीशियन को टेलिस्कोप द्वारा ब्लड सैंपल में फाइलेरिया की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया।

नाईट ब्लड सर्वे में चिह्नित फाइलेरिया संभावित मरीजों को उपलब्ध कराई जाएगी मेडिकल सुविधा :

जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे में संभावित फाइलेरिया ग्रसित मरीज की पहचान करने पर उन्हें तत्काल मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए मरीजों को अस्पताल से आवश्यक दवाई और मलहम दिया जाता है। इसके साथ ही मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ सफाई रखते हुए नियमित रूप से एक्सरसाइज करने की जानकारी दी जाती है। जिससे फाइलेरिया को नियंत्रित रखा जा सकता है। अगर नाईट ब्लड सर्वे में किसी ने जांच नहीं कराया और वह फाइलेरिया ग्रसित हो गया तो उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से ग्रसित अंगों के देखभाल के लिए एमएमडीपी किट्स उपलब्ध कराई जाती है। इसका उपयोग कर फाइलेरिया ग्रसित मरीज संक्रमित फाइलेरिया ग्रसित अंग में सूजन बढ़ने को रोक सकते हैं। इसे खत्म नहीं किया जा सकता बल्कि मेडिकल सहायता लेकर ग्रसित अंग को नियंत्रित रखा जा सकता है।

सामान्य लोगों को फाइलेरिया से बचने के लिए चलाया जाएगा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम :

पिरामल स्वास्थ्य के प्रोग्राम लीड सनत गुहा ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे द्वारा सभी प्रखंडों के चिह्नित क्षेत्रों में फाइलेरिया मरीज की पहचान की जाती है। नाइट ब्लड सर्वे जांच में अगर संबंधित प्रखंड में एक प्रतिशत व्यक्ति के ब्लड सैंपल में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होती है तो पूरे प्रखंड के लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए वहां सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है। इसमें स्थानीय आशा/आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा घर-घर जाकर दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को दवाई खिलाई जाती है। कम से कम पांच साल तक नियमित एमडीए कार्यक्रम के तहत दवा सेवन करने से लोग फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। पूर्णिया जिले में हर साल 10 अगस्त से एमडीए कार्यक्रम चलाया जाता है जिसके तहत लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए दवा खिलाई जाती है। पिरामल स्वास्थ्य के प्रोग्राम लीड सोमेन अधिकारी ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को नाइट ब्लड सर्वे द्वारा अपने फाइलेरिया की पहचान करवानी चाहिए और फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के तहत उपलब्ध दवाइयों का सेवन करना चाहिए। इससे सभी व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकता है।

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