चमरू मंडल की ऐतिहासिक धरती पर 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा को लेकर तैयारियां ज़ोरों पर 24 जनवरी से 30 जनवरी तक भक्तिमय होंगे पूरा क्षेत्र निकाली जाएगी भव्य कलश शोभायात्रा

चमरू मंडल की ऐतिहासिक धरती पर 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा को लेकर तैयारियां ज़ोरों पर 24 जनवरी से 30 जनवरी तक भक्तिमय होंगे पूरा क्षेत्र निकाली जाएगी भव्य कलश शोभायात्रा

पूर्णिया जिले के रुपौली स्थित पंचायत विजय मोहनपुर के चमरू मंडल क्रीड़ा मैदान की ऐतिहासिक धरती पर बुधवार को कलश शोभायात्रा के साथ सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ होगा। स्थानीय चमरू मंडल क्रीड़ा मैदान प्रांगण से शोभायात्रा प्रारंभ होकर कारी कोसी के कांप घाट पर पहुंच कर जल भरकर पुनः कथा स्थल चमरू मंडल की ऐतिहासिक धरती चमरू मंडल कीड़ा मैदान पर विधि विधान के साथ पुजा अर्चना के साथ कथा की शुरुआत की जाएगी

भवसागर तैरने के लिए, प्रभु से युक्त होने के लिए दो मार्ग मुख्य है। एक है ज्ञान मार्ग तो दूसरा है कर्म मार्ग। ज्ञानमार्ग सांख्य का मार्ग है तो कर्ममार्ग यथार्थ योगमार्ग। ज्ञान मार्ग हो या कर्म मार्ग, दोनों में भक्ति की परम आवश्यकता है। भक्ति दोनों के साथ होनी चाहिये। ज्ञान के साथ-साथ अगर भक्ति नहीं होगी तो ज्ञान का अभिमान आयेगा । ज्ञान मुक्त करता है, मगर ज्ञान का अभिमान बाँधता है। पूर्ण वैराग्य के बिना ज्ञानमार्ग में सिद्धि नहीं मिलती। कर्ममार्ग राजपथ है। हर कोई उस पथ पर चलकर जा सकता है। कर्म में अगर भक्ति होगी तो कर्म पूजा बनेगा। बोलने में भक्ति होगी तो बोलना स्तुति बनेगा। देखनें में भक्ति होगी तो दर्शन बनता है। चलने में भक्ति मिलने से चलना परिक्रमा बन जाता है। भोजन में भक्ति मिलने से भोजन यज्ञ बन जाता है। सोने में भक्ति मिलने से वह समाधि बन जाती है। तुम जो भी क्रिया करो उसमें भक्ति घुल जानी चाहिये।ज्ञान व वैराग्य के द्वारा भक्ति पुष्ट होती है ईश्वर प्राप्ति के तीन मार्ग हैं कर्म ज्ञान और भक्ति जिसमे भक्ति को श्रेष्ठ माना गया है।

सभी कथाओं में श्रीमद्भागवत कथा श्रेष्ठ है। जिस स्थान पर भागवत कथा का आयोजन होता है, वह तीर्थ स्थल कहलाता है। इसे सुनने और आयोजन करने का सौभाग्य प्रभु प्रेमियों को ही मिलता है। इसके सुनने से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ-साथ मोक्ष को प्राप्त करता है।

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