सामान्य दिखाई देने वाले लोगों में भी हो सकता है फाइलेरिया के परजीवी
सुरक्षित रहने के लिए एमडीए कार्यक्रम के तहत करें दवा का सेवन
- जिले के सभी प्रखंडों में 10 फरवरी से चलाया जाएगा सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम
- लोगों को किया जा रहा एमडीए के लिए जागरूक
- हाथीपांव का नहीं है कोई इलाज
कटिहार, 16 जनवरी
देश से वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। सामान्य दिखाई देने वाले लोगों में भी फाइलेरिया के परजीवी जीवित हो सकते हैं। इसके लिए विभाग द्वारा लगातार विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर प्रतिवर्ष सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाया जाता है। जिसमें फाइलेरिया के परजीवी को बढ़ने से रोकने के लिए लोगों को दवा खिलाई जाती है।
वर्ष 2024 में कटिहार जिले में एमडीए कार्यक्रम 10 फरवरी से चलाया जाएगा। इस दौरान सभी प्रखंडों में स्थानीय आशा कर्मियों द्वारा सभी लोगों को घर-घर जाकर दवा खिलाई जाएगी। एमडीए कार्यक्रम के दौरान 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को (गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़कर) डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। दवा सेवन करने से लोगों को फाइलेरिया ग्रसित होने की संभावना समाप्त हो जाती है और लोग फाइलेरिया से बिल्कुल सुरक्षित रह सकते हैं।
लोगों को किया जा रहा एमडीए के लिए जागरूक
इस वर्ष 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान की शुरुआत होनी है जो 24 फरवरी तक चलाया जाएगा। इस दौरान लोगों को घर-घर जाकर दवाई खिलाई जाएगी। लोगों द्वारा आशा कर्मियों से दवा लेकर सेवन करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ अन्य सहयोगी संस्थाओं पिरामल स्वास्थ्य, पीसीआई और सीफार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम का संचालन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
इनके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्कूल के बच्चों को दवा सेवन करने और आसपास के लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ साथ स्थानीय लोगों को भी समुदायिक बैठक कर फाइलेरिया होने के लक्षण और इससे सुरक्षित रहने के लिए एमडीए कार्यक्रम के दौरान दवा सेवन करने की प्राथमिकता में शामिल करने की जानकारी दी जा रही है।
इसके अलावा बहुत से प्रखंडों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया मरीजों के साथ पेशेंट सपोर्ट ग्रुप चलाया जा रहा है जिसके तहत फाइलेरिया मरीजों की मासिक बैठक कर उन्हें विभिन्न स्वास्थ्य सहायता प्रदान की जाती है। एमडीए कार्यक्रम के लिए पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्यों द्वारा भी स्थानीय लोगों को जागरूक किया जा रहा है जिससे कि सामान्य लोग दवा का सेवन कर उनके तरह फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं।
हाथीपांव का नही है कोई इलाज
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जेपी सिंह ने बताया कि फाइलेरिया लोगों के हाथ, पैर, पुरुषों के हाइड्रोसील और महिलाओं के स्तन में होने वाला रोग है। फाइलेरिया होने पर ग्रसित अंग में बहुत सूजन होता है और लोगों को सामान्य जीवनयापन में समस्या होती है। हाथ या पैर में होने वाले सूजन के कारण इसे हाथीपांव भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि हाइड्रोसील ग्रसित फाइलेरिया मरीजों का ऑपरेशन करा कर फाइलेरिया से छुटकारा दिलाया जा सकता है परंतु हाथीपाव का इलाज या ऑपरेशन पूरे भारत में मौजूद नहीं है।
उन्होंने बताया कि हाथीपांव का लक्षण सामान्यतः शुरुआती दौर में दिखाई नहीं देता है। इसके परजीवी शरीर में प्रवेश करने पर 8 से 10 सालों बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। तब तक बहुत देर हो जाती है और इसका इलाज नहीं हो सकता। सामान्य दिखने वाले लोग में भी फाइलेरिया ले परजीव हो सकते हैं। इससे सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत दवा का सेवन जरूर करना चाहिए। लगातार पांच साल तक इसका सेवन करने से लोग फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित हो सकते हैं।