का. विनोद मिश्र : जनता के जनवाद के लिए समर्पित एक अथक योद्धा

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का. विनोद मिश्र : जनता के जनवाद के लिए समर्पित एक अथक योद्धा

18 दिसंबर 1998 को पार्टी की केंद्रीय कमिटी की बैठक के दौरान का. विनोद मिश्र का निधन लखनऊ में हो गया था. उनके पार्थिव शरीर को सड़के के रास्ते पटना लाया गया. अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए मिलर हाई स्कूल के खेल मैदान में जनता का सैलाब उमड़ पड़ा. 22 दिसंबर को वहीं से उनकी ऐतिहासिक अंतिम यात्रा निकली और बांस घाट पर उन्हें अंतिम विदाई दी गई.2. अपनी मृत्यु के ठीक 15 दिन पहले मिलर हाई स्कूल ग्राउंड से ही उन्होंने 6 दिसंबर 1998 को आयोजित सेकुलर मार्च का नेतृत्व किया था.3. 1997 में बनारस में आयोजित पार्टी के छठे महाधिवेशन में का. विनोद मिश्र ने देश में सांप्रदायिक फासीवाद की आहट को सबसे पहले महसूस करते हुए उसके खिलाफ संघर्ष की एक व्यापक कार्ययोजना प्रस्तुत की. भारतीय संदर्भ में उन्होंने सांप्रदायिक फासीवाद का कॉरपोरेट घरानों व सामंती ताकतों से नाभिनाल संबंध को उजागर किया.4. सनद रहे कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के पश्चात विपक्ष की जहां सभी पार्टियां दुबक सी गईं, का. विनोद मिश्र ने साहस के साथ आगे बढ़ते हुए पूरे देश में सांप्रदायिकता विरोधी अभियानों के नेतृत्व की कमान संभाली और बनारस में सांप्रदायिकता विरोधी एक ऐतिहासिक मार्च के दौरान गिरफ्तारी दी.5. बिहार के धधकते खेत-खलिहानों से का. विनोद मिश्र का गहरा रिश्ता था. ‘बिहार के धधकते खेत-खलिहानों की  दास्तां’ के जरिए गरीबों-वंचितों के संघर्ष को दुनिया के सामने लाया. बाद के दिनों में जब रणवीर सेना ने गरीबों का बर्बर जनसंहार रचाना शुरू किया, उन्होंने दलितों-वंचितों के गुस्से को संगठित करने और उस लड़ाई को निर्णायक मुकाम तक पहुंचाने के आह्वान के साथ ‘यह जंग जरूर जीतें’ पुस्तिका लिखी.6. का. वीएम ने 1970-80 के दशक में देश में कम्युनिस्ट आंदोलन को एक नई दिशा व तेवर दिया और जाति व वर्ग के प्रश्नों को एक नई धरातल देते हुए उसके प्रति जरूरी कार्यनीति को विकसित किया.7. का. वीएम का लिखा ‘मेरे सपनों का भारत’ आज भी नए भारत की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है.8. का. वीएम महज 54 वर्ष की उम्र में ही दिवंगत हो गए, लेकिन झंझावातों से भरे राजनीतिक दौर में उन्होंने नेतृत्व की मिसाल पेश की.9. अकलियत समुदाय के प्रश्नों के प्रति नई दृष्टि पेश करते हुए उन्होंने कम्युनिस्ट आंदोलन व अकलियत समुदाय के संबंधों को पुनर्जीवित करने का काम किया.10. का. वीएम पिछड़ेपन व अविकास की ऐतिहासिक समस्या से बिहार को विकास के रास्ते पर लाने की कुंजी भूमि सुधार को मानते थे. इस सवाल पर तीखी राजनीतिक बहसों में उतरते हुए उन्होंने हाशिए पर खड़ी दलित-वंचित समुदाय की बहुतायत आबादी को राजनीति के रंगमंच पर लाने का एजेंडा स्थापित किया. वे मानते थे कि इसके बिना बिहार में

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