क्लब फुट ग्रसित 02 बच्चों को इलाज के लिए भेजा गया भागलपुर

Advertisements

क्लब फुट ग्रसित 02 बच्चों को इलाज के लिए भेजा गया भागलपुर

जेएलएनएमसीएच भागलपुर में कराया जाएगा ऑपरेशन, स्वास्थ्य होंगे बच्चे

ऑपरेशन और उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी बिल्कुल निःशुक्ल : सिविल सर्जन

कटिहार, 22 जनवरी
जन्म के बाद से ही नवजात शिशु का एक पैर अंदर और नीचे की ओर मुड़े होने पर ऐसे बच्चे को चिकित्सकीय भाषा में क्लब फुट से ग्रसित माना जाता है। ऐसे बच्चे बचपन से ही चलने फिरने में असमर्थ होते हैं। क्लब फुट जिसे टैलिप्स भी कहा जाता है एक जन्मजात बीमारी है जिसमें बच्चे का पैर अंदर और नीचे की ओर मुड़ा हुआ होता है। ऐसे बीमारी से ग्रसित बच्चों का बचपन में ही आवश्यक इलाज नहीं कराया गया तो संबंधित बच्चा विकलांग ग्रसित हो सकता है। स्वास्थ्य केंद्रों में क्लब फुट ग्रसित बच्चों का आवश्यक इलाज संभव है। कटिहार जिले के 02 क्लब फुट ग्रसित की पहचान करते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) अंतर्गत विशेष इलाज के लिए जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, भागलपुर भेजा गया है। भागलपुर में बच्चों को आवश्यक इलाज और चिकित्सकीय सहायता निःशुक्ल उपलब्ध कराई जाएगी जिससे कि दोनों बच्चा सामान्य बच्चों की तरह चलने फिरने में समर्थ हो सकता है।

जेएलएनएमसीएच भागलपुर में कराया जाएगा ऑपरेशन, स्वास्थ्य होंगे बच्चे :

सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) के तहत क्लब फुट से ग्रसित बच्चों की पहचान करते हुए विशेष चिकित्सकीय सहायता के लिए एम्बुलेंस द्वारा बच्चों को परिजनों के साथ जेएलएनएमसीएच भागलपुर रेफर किया गया है। आरबीएसके का मुख्य उद्देश्य 0 से 18 साल तक के बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान करना और उनका समय पर इलाज कराना है। दोनों बच्चों कटिहार जिले के कदवा प्रखंड निवासी हैं। इसमें एक बच्चे का नाम ज़ैनद फातिमा है जिसकी उम्र 10 माह है। इसके पिता का नाम मो. जावेद आलम है जो ग्राम पचगच्छी प्रखंड कदवा निवासी है। वहीं दूसरा बच्चा का नाम नवीन यादव है जिसकी उम्र 02 माह है। उसके पिता का नाम राजेश यादव और घर मीनापुर प्रखंड कदवा है। दोनों बच्चों के क्लब फुट ग्रसित होने की पहचान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम द्वारा की गई। टीम ने बच्चों के पैरों की स्थिति को गंभीर मानते हुए उन्हें जेएलएनएमसीएच भागलपुर में उपचार के लिए भेजा है, जहां उनका निःशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा। इस दौरान दोनों बच्चों के ऑपरेशन और उपचार का कोई भी खर्चा परिजनों को नहीं उठाना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा दोनों बच्चों को स्वास्थ्य सुविधा निःशुक्ल उपलब्ध कराई जाएगी। दोनों बच्चों और उनके परिजनों को कटिहार से भागलपुर आवागमन सरकारी एम्बुलेंस द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी जिससे कि परिजनों को आने जाने में कोई समस्या नहीं हो सके और बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित हो सके।

ऑपरेशन के बाद भी बच्चों के स्वास्थ्य स्थिति की रखी जाएगी निगरानी :

आरबीएसके जिला समन्यवक मनीष कुमार सिन्हा ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग और आरबीएसके की टीम द्वारा सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों के परिवारों को इलाज के दौरान किसी भी प्रकार के कोई खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। ऑपरेशन के बाद दोनों बच्चों को एम्बुलेंस द्वारा भागलपुर से उनके घर तक सुरक्षित पहुँचाया जाएगा। इसके बाद भी बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति जिला आरबीएसके टीम द्वारा निगरानी में रखा जाएगा जिससे कि उनकी पूरी देखभाल हो सके। यह पहल स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी ग्रसित बच्चों के लिए लगातार किया जाता है जिससे कि ग्रसित बच्चों के परिजनों को बिना किसी खर्च के सभी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके और बच्चे बिल्कुल स्वास्थ और सुरक्षित रह सके।

18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का आरबीएसके के तहत 30 तरह की बीमारियों का कराया जाता है निःशुल्क इलाज :

डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत केवल बीमारियों की पहचान करना ही नहीं बल्कि चिन्हित बच्चों को निःशुक्ल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराना भी है। इसी उद्देश्य के तहत जिले के 02 क्लब फुट ग्रसित बच्चों की पहचान करते हुए ऑपरेशन के लिए भागलपुर रेफर किया गया है। पूरे चिकित्सकीय सहायता के दौरान परिवारों को किसी प्रकार की आर्थिक खर्च नहीं करना पड़ेगा। आरबीएसके टीम द्वारा बच्चों को जेएलएनएमसीएच भागलपुर तक पहुँचाकर वहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा इनका सफल ऑपरेशन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ऑपरेशन के बाद भी आरबीएसके टीम द्वारा नियमित रूप से बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं। डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के बच्चों के 30 तरह की बीमारियों का निःशुल्क उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को जन्मजात विकारों और अन्य गंभीर बीमारियों से निजात दिलाना है। अगर जिले के किसी प्रखंड में ऐसे बच्चे उपलब्ध हैं तो संबंधित परिजनों द्वारा नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान से संपर्क कर बच्चों का जांच कराना चाहिए। रोग ग्रसित होने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित बच्चों को निःशुल्क उपचार सुविधा उपलब्ध कराते हुए स्वस्थ और सुरक्षित किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *