फाइलेरिया चैंपियन के सहयोग से जिले में बढ़ रही फाइलेरिया रोधी दवा सेवन करने वालों की संख्या
- फाइलेरिया मरीजों द्वारा बताई जा रही फाइलेरिया होने के बाद की कहानी
- जिले के 10 लाख से अधिक लोगों द्वारा खाई गई है फाइलेरिया से सुरक्षा की दवा
- आशा/सेविका कर्मियों द्वारा घर-घर पहुँचकर लोगों को खिलाई जा रही दवा
कटिहार, 23 फरवरी
फाइलेरिया एक लाईलाज बीमारी है जिससे ग्रसित होने पर इसका सम्पूर्ण इलाज नहीं हो सकता। फाइलेरिया होने से पहले ही उसे खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बीते 10 फरवरी से जिले में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इस दौरान सभी सामान्य लोगों को आशा/सेविका कर्मियों द्वारा घर-घर पहुँचकर फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जा रही है। इस कार्यक्रम के सफल संचालन में सहयोग मिल रहा है फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों द्वारा। उनके द्वारा चैंपियन की तरह स्वास्थ्य कर्मियों के साथ घर-घर भ्रमण कर ऐसे लोगों को दवा सेवन करने के लिए जागरूक किया जा रहा है जो दवा सेवन करने से इंकार कर रहे हैं। लोगों द्वारा फाइलेरिया चैंपियन की स्थिति को देखने और फाइलेरिया ग्रसित होने पर होने वाले समस्याओं की जानकारी प्राप्त होने पर बिना इंकार किए फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जा रही दवा का सेवन किया जा रहा है।
फाइलेरिया मरीजों द्वारा बताई जा रही फाइलेरिया होने के बाद की कहानी :
फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए दवा सेवन से इंकार करने वाले लोगों को फाइलेरिया मरीजों द्वारा फाइलेरिया ग्रसित होने पर होने वाले समस्याओं की जानकारी दी जा रही है। कोढ़ा प्रखंड के बसगढ़ा पंचायत के हरिजन टोला में रहने वाले लोगों द्वारा पहले कभी भी फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन नहीं किया जाता था। इस बार भी आशा कर्मियों द्वारा दवा सेवन करवाने पर वहां के लोगों ने यह कहते हुए दवा सेवन से इंकार कर दिया कि उसे फाइलेरिया नहीं है। आशा कर्मियों के समझाने पर भी लोगों ने दवा सेवन करने से दूसरा बीमारी होने की आशंका जताई। ऐसे में बसगढ़ा पंचायत के मुखिया प्रीतम देवी द्वारा फाइलेरिया ग्रसित मरीज की स्थिति दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया। बसगढ़ा पंचायत के ही फाइलेरिया से ग्रसित मरीज बासुदेव सिंह जो बीस साल से अधिक समय से फाइलेरिया से ग्रसित हैं उन्होंने वहां के लोगों को फाइलेरिया होने के बाद होने वाले परिस्थितियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक बार फाइलेरिया हो गया तो उसका कोई इलाज हीं नहीं हो सकता। मैं पिछले बीस साल से यह समस्या झेल रहा हूं। फाइलेरिया होने से सिर्फ पैर में सूजन हीं नहीं होता बल्कि समय समय पर बहुत तेज बुखार, कपकपी वाली जाड़ और दर्द भी होता है। इसके अलावा सूजन बढ़ने पर चमड़े फटने भी लगते हैं। इससे पैर में घाव बढ़ जाता है और वहां से मवाद निकलने लगता है। वैसी स्थिति में पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति किसी और लोगों को नहीं हो इसके लिए फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन जरूर करना चाहिए। दवा सेवन करने से अगर किसी के अंदर यह कीटाणु है तो वह फैलने से पहले ही नष्ट हो जाता है और लोग फाइलेरिया होने से बच सकते हैं। बसगढ़ा पंचायत की मुखिया प्रीतम देवी ने बताया कि इस गांव के ज्यादातर लोगों द्वारा पहले भी कभी फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए खिलाए जा रहे दवाई का सेवन नहीं किया गया है। इसके लिए उन्हें फाइलेरिया से होने वाले समस्या की जानकारी होना जरूरी था। वहां के लोगों को हमारे और हमारे परिजनों द्वारा भी दवाई सेवन करने की जानकारी देने और फाइलेरिया ग्रसित मरीज बासुदेव सिंह द्वारा जागरूक करने के बाद दवा सेवन करने पर सहमति जताई गई। इससे वहां के 08-10 परिवार के 25-30 लोगों द्वारा दवा सेवन किया गया। दवा सेवन करने वाले लोगों को दवा सेवन करने से होने वाले उल्टी, सर दर्द, पेट दर्द आदि दुष्प्रभाव की भी जानकारी देते हुए इसे खत्म करने के लिए ज्यादा पानी या ओआरएस घोल सेवन करने की जानकारी दी गई।
जिले में लगभग 10 लाख लोगों द्वारा खाई गई है फाइलेरिया से सुरक्षा की दवा :
जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह ने बताया कि 21 फरवरी तक जिले के लगभग 10 लाख लोगों द्वारा फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए उपलब्ध कराई जा रही दवा का सेवन किया जा चुका है। 10 फरवरी से शुरू किया गया एमडीए कार्यक्रम के पहले 04 दिन (10, 12, 13 और 15 फरवरी) सभी प्रखंडों के स्कूलों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर बूथ स्तर का कैम्प लगाकर उपस्थित लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाई का सेवन कराया गया। उस दौरान जिले में कुल 01 लाख 99 हजार 662 लोगों को दवा खिलाई गई।
16 फरवरी से जिले के सभी प्रखंडों में आशा/सेविका कर्मियों द्वारा लोगों को घर-घर पहुँचकर दवा सेवन करवाया जा रहा है। 21 फरवरी तक जिले में 07 लाख 92 हजार 866 लोगों को घर-घर दवा सेवन करवाया गया है। इसमें आजमनगर में 01 लाख 01 हजार 842 लोगों को, कदवा में 01 लाख 243 लोगों को, बरारी में 74 हजार 582 लोगों को, बारसोई में 69 हजार 837 लोगों को, कटिहार सदर में 68 हजार 008 लोगों को, कोढ़ा में 65 हजार 624 लोगों को, मनिहारी में 53 हजार 656 लोगों को, बलरामपुर में 46 हजार 991 लोगों को, प्राणपुर में 45 हजार 159 लोगों को, अमदाबाद में 42 हजार 972 लोगों को, फलका में 27 हजार 683 लोगों को, समेली में 27 हजार 369 लोगों को, मनसाही में 23 हजार 061 लोगों को, हसनगंज में 19 हजार 156 लोगों को, डंडखोरा में 10 हजार 966 लोगों को, कुर्सेला में 09 हजार 133 लोगों को और कटिहार ग्रामीण में 06 हजार 584 लोगों को दवाई खिलाई जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि बचे हुए लोगों को भी जागरूक करते हुए दवाई सेवन करवाया जा रहा है। यह दवाई 02 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों (गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमार लोगों को छोड़कर) को खिलाया जा रहा है। लगातार पांच साल तक साल में एक बार इस दवाई का सेवन करने से लोग फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित हो सकते हैं।