शिशु एवं छोटे बच्चे का आहार क्रियान्वयन के लिए सभी प्रखंड के एएनएम व स्टाफ नर्स को दिया गया चार दिवसीय प्रशिक्षण
- बच्चों के जन्म के बाद एक घंटे के भीतर माँ का दूध आवश्यक : सिविल सर्जन
- नियमित स्तनपान शिशु मृत्यु दर में लाता है कमी
- 6 माह बाद बच्चों को खिलाया जाना चाहिए पोषाहार
बच्चों के बेहतर स्वास्थ के लिए उनके आहार क्रियान्वयन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अस्पताल में बच्चों के जन्म के बाद से उनके आहार के लिए परिजनों को जागरूक करने के लिए जिले के सभी प्रखंड के प्रसव कक्ष में कार्यरत एएनएम एवं स्टाफ नर्स को चार दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।
इस दौरान सभी एएनएम और स्टाफ नर्स को अस्पताल में जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं को एक घंटे के भीतर स्तनपान कराते हुए छः माह तक केवल स्तनपान कराने और छः माह बाद के शिशुओं के आहार क्रियान्वयन की आवश्यक जानकारी दी गई। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीसीएम संजय कुमार दिनकर, डीपीसी डॉ सुधांशु शेखर, डीएमएनइ आलोक कुमार, एएनएम स्कूल सिस्टर ट्यूटर ऋचा ज्योति, स्टाफ नर्स वीरेंद्र सिंह सहित सभी प्रखंड के प्रसव कक्ष में कार्यरत एएनएम एवं स्टाफ नर्स उपस्थित रहे।
बच्चों के जन्म के बाद एक घंटे के भीतर माँ का दूध आवश्यक -सिविल सर्जन
आयोजित प्रशिक्षण में प्रसव कक्ष में कार्यरत स्टाफ नर्स व एएनएम को जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि बच्चों के स्वास्थ्य का विकास जन्म के बाद उन्हें दिए जा रहे आहार पर निर्भर करता है। जन्म के तुरंत बाद से अगले छः माह तक उन्हें केवल माँ का दूध हीं पिलाना चाहिए। बच्चों को जन्म के बाद एक घंटे के भीतर माँ का दूध पिलाने से उनके स्वास्थ्य का विकास तीव्र गति से होता है।
बच्चों को विभिन्न बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें छः माह तक केवल स्तनपान और छः माह बाद से अगले दो साल तक स्तनपान के साथ अतिरिक्त आहार का सेवन कराने से बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इसलिए सभी अस्पताल में कार्यरत एएनएम एवं स्टाफ नर्स द्वारा इसके लिए अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के परिजनों को जागरूक करने की जरूरत है। इसके साथ साथ एएनएम द्वारा नियमित टीकाकरण के दौरान भी टीकाकरण के लिए उपस्थित लोगों को बच्चों के आहार प्रणाली के लिए जागरूक करना चाहिए जिससे कि बच्चों को सही आहार मिले और बच्चे तंदुरुस्त एवं स्वास्थ रह सकें।
नियमित स्तनपान शिशु मृत्यु दर में लाता है कमी
डीसीएम संजय कुमार दिनकर ने बताया कि जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू कराने से शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक की कमी लाया जा सकती है। छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 प्रतिशत और 15 प्रतिशत कमी लायी जा सकती है। अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा तीन पॉइंट अधिक होती है, जिन्हें माँ का दूध थोड़े समय के लिए मिलता। इसके अलावा स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मौत को भी कम करता है। माँ का दूध जहाँ शिशु को शारीरिक व मानसिक विकास प्रदान करता वहीं उसे डायरिया, निमोनिया और कुपोषण जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाता भी है। इसलिए बच्चों के स्वास्थ्य निगरानी के लिए कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों को इसके लिए बच्चों के परिजनों को जागरूक करना चाहिए।
6 माह बाद बच्चों को खिलाया जाना चाहिए पोषाहार
जिला कार्यक्रम समन्यवक डॉ सुधांशु शेखर ने बताया कि बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए 6 माह तक सिर्फ स्तनपान एवं छः माह बाद स्तनपान के साथ पूरक पोषाहार बहुत जरूरी होता है। 6 माह से 23 माह तक के बच्चों के लिए यह अति आवश्यक है। 6 से 8 माह के बच्चों को दिन भर में दो से तीन बार तथा 9 से 11 माह के बच्चों को तीन से चार बार पूरक आहार के साथ 12 माह से 2 साल तक के बच्चों को घर में पकने वाला भोजन भी देना चाहिए। इससे बच्चों के शरीर एवं दिमाग का तेजी से विकास होना शुरू होता है और बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से बिल्कुल स्वास्थ्य रहते हैं।
बच्चों के आहार के लिए परिजनों की जागरूकता आवश्यक
डीएमएनई आलोक कुमार ने कहा कि बच्चों के आहार को बढ़ावा देने के लिए परिजनों की जागरूकता आवश्यक है। इसके लिए अभिभावकों का सशक्तीकरण एक गतिविधि नहीं बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रसव पूर्व जांच के दौरान और शिशु के जन्म के समय अवश्य प्रदान की जानी चाहिए।
माँ बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान और पूरक आहार का सेवन तभी कराती जब उसे एक सक्षम माहौल और पिता, परिवार के साथ समुदायों से आवश्यक सहयोग प्राप्त होता है। परिजनों को इसके लिए जागरूक करने में सभी एएनएम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नियमित रूप से परिजनों को इसके लिए जागरूक करने से परिजनों द्वारा बच्चों को सही आहार का सेवन कराया जा सकेगा जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।