बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत महिलाओं को किया जा रहा लैंगिक हिंसा के विरुद्ध जागरूक
- बी. कोठी में आंगनबाड़ी सेविका एवं जीविका दीदियों द्वारा लोगों को किया गया जागरूक
- किसी भी क्षेत्र में महिलाएं किसी पुरूष से कम नहीं
- कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह और दहेज प्रथा की रोकथाम से होगा बेटियों का उत्थान
पूर्णिया, 11 जनवरी।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत “नई चेतना- पहल एक बदलाव की ओर” कार्यक्रम में लैंगिक हिंसा के विरुद्ध महिलाओं को जागरूक करने के लिए समेकित बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) द्वारा जिले के बी. कोठी प्रखंड में आंगनबाड़ी सेविकाओं और जीविका दीदियों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान क्षेत्र के सभी लोगों को महिलाओं के विकास में बाधक बन रहे विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हुए उन्हें लोगों को इसे खत्म करने के लिए जागरूक किया गया। लोगों को बताया गया कि समाज में अभी भी बहुत सी कुरीतियां हैं,जिसके कारण महिलाओं का मुख्य रूप से विकास नहीं हो सकता। इसे समाप्त करने से सभी क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा सहयोग मिलेगा और हमारा देश, हमारी संस्कृति का बहुत विकास संभव हो सकेगा।
किसी भी क्षेत्र में महिलाएं किसी पुरूष से कम नहीं : सीडीपीओ
बी. कोठी आईसीडीएस सीडीपीओ रेणु कुमारी ने लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि आज के दौर में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। अगर उन्हें उनके अभिव्यक्ति के लिए आजाद किया जाए तो उनके द्वारा घर-परिवार के दायित्यों, कार्यों को निभाने के साथ साथ ऑफिस या अन्य कार्यों की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही है। घर के साथ साथ बाहर के कार्यों में महिलाओं के योगदान की जितनी भी सहारना भी जाए वो कम है। उनके सहयोग के कारण ही हमारा देश आज मंगल ग्रह तक पहुंच सका है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे को सार्थक बनाने के लिए हर परिवार को बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच स्थापित करते हुए उन्हें बेटों की तरह आगे बढ़ने में सहयोग करना चाहिए। लोगों को पुराने खयालों से बाहर आकर सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने की जरूरत है। हालांकि वर्तमान समय में बेटियों के प्रति सामाजिक स्तर पर बहुत बदलाव हुआ है लेकिन बहुत से क्षेत्रों में सभी और सकारात्मक बदलाव की जरूरत है। जैसे जैसे लोगों की मानसिकता बदलेगी, बेटियां और आगे बढ़ेगी और हर क्षेत्र में कामयाबी की मिसाल पेश करेंगी।
कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह और दहेज प्रथा की रोकथाम से होगा बेटियों का उत्थान :
आईसीडीएस डीपीओ रीना श्रीवास्तव द्वारा बताया गया है कि जागरूकता अभियान में उपस्थित लोगों को बताया गया कि बेटियों के विकास में सहायक बनने के लिए सभी लोगों को लैंगिक हिंसा के विरुद्ध जागरूक होने की जरूरत है। आज भी हमारे समाज में बहुत से कन्याओं का भ्रूण हत्या की जाती है। भ्रूण हत्या करना कानूनन अपराध है। लेकिन अभी भी लोगों द्वारा चोरी छुपे इसका उपयोग कर जन्म से पहले ही कन्याओं की हत्या की जाती है। जन्म के बाद भी बहुत से कन्याओं को कहीं भी खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया जाता है। बहुत जगह दहेज की जिम्मेदारी को खत्म करने के लिए जन्म के बाद बहुत कम उम्र में बेटियों की शादी करवा दी जाती है। यह सभी लैंगिक हिंसा के विरुद्ध आता है जो बेटियों को आगे बढ़ने से रोक देता है। मौका मिलने पर आज हर क्षेत्र में बेटियां बेटों से भी आगे बढ़ रहीं हैं। बेटियों को थोड़ा सा सहयोग मिलेगा तो वे बहुत आगे बढ़ सकती है। इसके लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है जिससे कि बेटियों को मौका मिल सके और वे अपने परिवार के साथ साथ अपने क्षेत्र, अपने देश का नाम आगे कर सके।