जिले में “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम की हुई शुरुआत:-
बच्चों को डायरिया से सुरक्षित करने के लिए जिले के स्वास्थ्य और आईसीडीएस विभाग के साथ जीविका स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया जाएगा एकदिवसीय प्रशिक्षण
राज्य के तीन जिले में चलाया जाएगा डायरिया जागरूकता अभिया।

0 से 5 साल तक के बच्चों को डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सहयोगी संस्था पॉपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पीएसआई-इंडिया) एवं केनव्यू के सहयोग से लोगों को जागरुक करते हुए स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राज्य के तीन जिले में “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी। कार्यक्रम के संबंध में स्वास्थ्य और आईसीडीएस अधिकारियों के साथ साथ जिले के अन्य स्वास्थ्य सहयोगी संस्था द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा पीएसआई इंडिया एवं केनव्यू के सहयोग से पूर्णिया में एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस दौरान उपस्थित अधिकारियों को संबंधित क्षेत्र में विभिन्न माध्यम से बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाते हुए डायरिया से सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक जानकारी दी गई। कार्यक्रम की शुरुआत सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस दौरान आईएमए अधीक्षक डॉ सुधांशु कुमार, एसीएमओ डॉ आर पी मंडल, एनसीडीओ डॉ सुभाष कुमार सिंह, आईसीडीएस विभाग से सीडीपीओ पूर्णिया सदर लक्ष्मी कुमारी, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स अधिकारी डॉ राजीव गुप्ता, पीएसआई इंडिया के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अनिल द्विवेदी, प्रोग्राम मैनेजर रवि शंकर, जिला कार्यक्रम प्रबंधक मयंक राणा, वरिष्ठ फील्ड कार्यक्रम समन्यवक ब्यूटी कुमारी, शिक्षा विभाग डीपीओ शशि चंदन चौधरी, जीविका स्वास्थ्य प्रबंधक अरुण कुमार सहित सभी प्रखंड और शहरी स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और अन्य स्वास्थ्य व आईसीडीएस अधिकारी उपस्थित रहे।

डायरिया से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए लोगों की जागरूकता आवश्यक
कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने कहा कि डायरिया की रोकथाम के लिए लोगों की जागरूकता और चिकित्सकीय सहायता आवश्यक है। इसके लिए सरकारी चिकित्सकों के साथ साथ निजी चिकित्सकों द्वारा भी अपने मरीजों को जागरूक करना चाहिए। डायरिया के लक्षण दिखाई देते ही लोगों द्वारा नजदीकी अस्पताल से आवश्यक चिकित्सकीय सहायता का लाभ उठाना चाहिए। सभी अस्पतालों में डायरिया ग्रसित बच्चों के उपचार के लिए सहायता उपलब्ध है। लक्षण दिखाई देने पर शुरुआत से उपचार उपलब्ध कराने से बच्चे डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। सिविल सर्जन डॉ कनौजिया ने कहा कि चिकित्सकीय सलाह के साथ साथ नवजात शिशुओं को आवश्यक स्तनपान कराने से बच्चे डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। लोगों को जागरूक होते हुए बच्चों को डायरिया से सुरक्षित रखने का भरपूर प्रयास करना चाहिए ताकि बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें। आईएमए इंडिया अधीक्षक डॉ सुधांशु कुमार द्वारा उपस्थित स्वास्थ्य अधिकारियों को डायरिया के लक्षणों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बच्चों को डायरिया से सुरक्षित करने के लिए जिले में बच्चों के चिकित्सकों और विद्यालय शिक्षकों का एक ग्रुप तैयार होना चाहिए। इसके माध्यम से जिले में डायरिया से संबंधित सभी सुविधाओं की जानकारी लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सके जिसका स्थानीय लोगों द्वारा लाभ उठाया जा सके।
डायरिया से उपचार के लिए जिंक और ओआरएस महत्वपूर्ण :
इंडियन एकेडमिक ऑफ पेड्रीएशन के चिकित्सक डॉ राजीव गुप्ता द्वारा उपस्थित अधिकारियों को बच्चों को डायरिया से सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक चिकित्सकीय तकनीकी जानकारी प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि डायरिया से उपचार के लिए लोगों को तत्काल अवस्था में जिंक और ओआरएस घोल का उपयोग करना चाहिए। छोटे बच्चों को डायरिया होने पर चिकित्सकीय सहायता के साथ साथ स्तनपान कराना सुनिश्चित करना चाहिए जिससे बच्चे डायरिया से निश्चित समय पर सुरक्षित हो सकते हैं।

एनसीडीओ डॉ सुभाष कुमार सिंह ने बताया कि डायरिया ग्रसित होने की स्थिति में बच्चों को खाने पाने पर ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस दौरान बच्चों को विशेष रूप से चावल, दाल, सब्जी के साथ साथ सादा पानी और पका हुआ केला का सेवन करना चाहिए जिससे बच्चे डायरिया से बहुत जल्द सुरक्षित हो सकते हैं।

राज्य के तीन जिले में चलाया जाएगा अभियान “डायरिया से डर नहीं”
इस मौके पर पीएसआई-इंडिया के उत्तर प्रदेश और बिहार के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अनिल द्विवेदी ने बताया कि “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम का उद्देश्य समुदाय में जागरूकता बढ़ाना और व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करना है ताकि बच्चों में दस्त प्रबन्धन को प्रभावी बनाया जा सके। कार्यक्रम के तहत आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और महिला आरोग्य समितियों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें डायरिया की सही पहचान और बचाव के बारे में बताया जाएगा। ओआरएस की महत्ता समझाई जाएगी। मीडिया के हर प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते हुए डायरिया के लक्षण, कारण और नियन्त्रण सम्बन्धी जरूरी सन्देश जन-जन में प्रसारित किया जाएगा। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के सात जिलों के साथ साथ बिहार के तीन जिलों सुपौल, पूर्णिया और दरभंगा में स्वास्थ्य विभाग और पीएसआई इंडिया वा केनव्यू के सहयोग से चलाया जायेगा।

जीविका को कार्यक्रम में शामिल करने की दी गई जानकारी
कार्यशाला में जिले के जीविका कर्मियों को भी ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम में शामिल करने का संदेश दिया गया। जीविका द्वारा समुदाय के लोगों को डायरिया से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी देते हुए लोगों द्वारा ओआरएस घोल और जिंक टैबलेट सुविधा का लाभ उपलब्ध कराने में आवश्यक सहयोग करने का संदेश दिया गया। कार्यशाला में पीएसआई के जिला कार्यक्रम मैनेजर मयंक राणा और वरिष्ठ फील्ड कार्यक्रम समन्यवक ब्यूटी कुमारी द्वारा सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को डायरिया उन्मूलन कार्यक्रम की जानकारी विभिन्न माध्यमों से लोगों तक उपलब्ध कराते हुए लोगों को डायरिया से सुरक्षित रखने का संदेश दिया गया। पीएसआई के डायरिया प्रोग्राम मैनेजर रवि शंकर द्वारा कार्यशाला में सभी चिकित्सकों को ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी गई। इसके साथ साथ सभी चिकित्सकों द्वारा आपसी सहभागिता से जिले में डायरिया उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने की जानकारी दी गई।