भाजपा आरएसएस संविधान विरोधी, केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों ने बढ़ाया देश में नफरत: डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह
संविधान का सम्मान और उसके अनुच्छेदों का अनुसरण करना होगा: डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह
संविधान बदलने की बात करने वाले भाजपा आरएसएस से देश की एकता और अखंडता पर खतरा: डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह
पटना. रविवार, जनवरी, 2025
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रदेश अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने आज गणतंत्र दिवस के मौके पर झंडोतोलन किया। गणतंत्र दिवस को समारोहपूर्वक प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में मनाया गया जिसमें स्कूली बच्चों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर सेवादल के जवानों ने राष्ट्रध्वज को सलामी दी।
झंडोतोलन के उपरांत अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ था। इस ऐतिहासिक पल को याद रखने के लिए हर साल 26 जनवरी के दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल भी 76वें गणतंत्र दिवस का जश्न पूरा देश मना रहा है। संविधान निर्माण के बाद बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने नवंबर 1949 को नई दिल्ली में कहा था कि “संविधान चाहे जितना अच्छा हो, वह बुरा साबित हो सकता है, यदि उसका अनुसरण करने वाले लोग बुरे हों। यह कौन कह सकता है कि भारत की जनता और उसके दल कैसा आचरण करेंगे! अपना मक़सद हासिल करने के लिए वे संवैधानिक तरीके अपनाएंगे या गैर-संवैधानिक तरीके? यदि वे गैर-संवैधानिक तरीके अपनाते हैं तो संविधान चाहे जितना अच्छा हो, यह बात कहने के लिए किसी ज्योतिषी की आवश्यकता नहीं कि वह असफल ही रहेगा।” आज के वर्तमान हालात में उनकी कही बातें पूरी तरह से सही साबित हो रही है। वर्तमान में केंद्र की सत्ता में काबिज भाजपा देश के संविधान को नहीं मानती है। वह संविधान पर नहीं चलना चाहती है। वह लोकतंत्र पर भरोसा नहीं करती है। भाजपा और आरएसएस नफरत और भेदभाव की राजनीति कर रही है और बार बार संविधान को बदलने की बात करती है। भाजपा और आरएसएस संविधान विरोधी हैं। इनकी रगों में संविधान के खिलाफ नफरत भरी पड़ी है।
आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक के एस सुदर्शन ने एकबार इंटरव्यू में कहा था कि “हम भारत के संविधान को स्वीकार नहीं करते। इसकी समीक्षा होनी चाहिए।” संविधान लागू होने के बाद से ही आरएसएस के लोग इसका विरोध करते रहे हैं जैसे उन्होंने देश के सबसे बड़े राजनीतिक संत गांधी का विरोध किया। उनकी विचारधारा तिरंगे पर ऊँगली उठा चुकी है। आरएसएस ने 1950 से 2002 तक अपने मुख्यालय में राष्ट्रध्वज नहीं फहराया और इसका अपमान करते रहे।
यही बात लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के नेता कहते नजर आए- 400 सीट आते ही संविधान बदल देंगे।
उन्होंने आगे कहा कि अमित शाह नें संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेदकर का सदन में अपमान किया, यह मात्र उनका ही नहीं बल्कि संविधान का अपमान है, भारत के लोकतंत्र का अपमान है। दिखावे के लिये ये भले ही संविधान को माथे से लगायें लेकिन मन में इनके पाप है।
बाबा साहेब अंबेडकर दिया संविधान भारत की आत्मा है। कांग्रेस पार्टी हर कीमत पर इसकी रक्षा करेगी। आज देश में संक्रमण काल है। मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण देश में नफरत पनप रहा है। लगातार बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई ने निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए जीवन को को बहुत कठिन कर दिया है।
दूध, आटा, दाल, पेट्रोल, डीजल और सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं। ईएमआई और रोजमर्रा की जरूरतों का बोझ हर घर पर बढ़ता जा रहा है। मोडानी सरकार ने पिछले दस सालों में केवल अपने अमीर मित्रों का ध्यान रखा है। जरा सोचिए। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 60 साल के सबसे निचले स्तर तक चली गई। इस वजह से लोगों को रोजगार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
कृषि क्षेत्र में गलत नीतियों ने किसान और खेत मजदूर की स्थिति बदहाल की है। वे मुश्किल से अपना गुजारा कर पा रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में श्रमिकों की वास्तविक आमदनी या तो स्थिर है या कम हुई है।
हानिकारक जीएसटी और इनकम टैक्स की मार ने गरीब और मिडिल क्लास का जीना हराम कर रखा है, जबकि कॉर्पोरेट का कर्जा माफ किया जा रहा है। आसमान छूती महंगाई के कारण अब न सिर्फ गरीब बल्कि वेतनभोगी क्लास भी अपनी जरूरतों के लिए लोन लेने को मजबूर है।
जनता में त्राहि त्राहि मचा हुवा है। चाहे केन्द्र हो या राज्य कहीं भी राहत नहीं है। अपराध और अपराधियों का बोलबाला है। गरीब और अमीर की खाई बढ़ती चली जा रही है।
अमृतकाल विष काल में बदल चुका है। इस गणतंत्र दिवस पर हम प्रण करें कि इस निरंकुश शासन को जड़ से उखाड़ फेंकना है। देश की जनता को समझना होगा कि कांग्रेस ही उनके हितों की रक्षा कर सकती है।
गणतंत्र दिवस समारोह में कांग्रेस विधान मंडल के नेता डा. शकील अहमद खान, कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता डा. मदन मोहन झा, पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामजतन सिन्हा, डा. शकील अहमद, कौकब कादरी, डा. समीर कुमार सिंह, श्याम सुन्दर सिंह धीरज, प्रेमचन्द्र मिश्रा, वीणा शाही, नरेन्द्र कुमार, संजीव प्रसाद टोनी, श्रीमती ज्योति, निर्मल वर्मा, ब्रजेश पाण्डेय, ब्रजेश प्रसाद मुनन, लाल बाबू लाल, बंटी चैधरी, अंशुल अभिजीत, आनन्द माधव, कपिलदेव प्रसाद यादव, डा हरखू झा, प्रमोद कुमार सिंह, राज कुमार राजन, ज्ञान रंजन, डा. स्नहाशीष वर्द्धन पाण्डेय, मनोज कुमार सिंह, भावना झा, शरवत जहां फातमा, डा. संजय यादव, उमैर खान, राजेश कुमार सिन्हा, केसर कुमार सिंह, लव सिन्हा, निधि पाण्डेय, अरविन्द लाल रजक, आशुतोष शर्मा, कैसर अली खान, चन्द्र प्रकाश सिंह, सौरभ सिन्हा, आसिफ गफूर, रीता सिंह, संजीव कर्मवीर, शशि रंजन, संजय पाण्डेय, शशिकांत तिवारी, गुंजन पटेल, सूरज सिन्हा, रामायण प्रसाद यादव, राज किशोर सिंह, जितेन्द्र कुमार सिंह, असफर अहमद, दुर्गा प्रसाद, ललन यादव, मो. कामरान, सुदय शर्मा, डा. मधुबाला, कुमारी रूपम, उदय शंकर पटेल, अजय कुमार चौधरी, सत्येन्द्र कुमार सिंह, अखिलेश्वर सिंह, मृणाल अनामय, विमलेश तिवारी, अब्दुल वाकी सज्जन, संतोष श्रीवास्तव, मो. शाहनवाज, मिथिलेश शर्मा मधुकर , सिद्धार्थ क्षत्रिय, वसी अख्तर, सुनील सिंह, सुधीर शर्मा, हीरा सिंह वग्गा, रामा शंकर पाण्डेय, नदीम अंसारी, नीतू सिंह निषाद, वसीम अहमद, कुन्दन गुप्ता, उर्मिला सिंह नीलू, विशाल रंजन, राजेन्द्र चैधरी, शंकर स्वरूप, प्रदुम्न राय, आदित्य पासवान, अमित सिकन्दर, सोनू अग्रवाल, निशांत करपटने, विश्वनाथ बैठा सहित अन्य नेतागण मौजूद रहें।