जीएमसीएच पूर्णिया के ओपीडी एसटीडी क्लीनिक में हुई एचआईवी सेंटिनल सर्विसलेंस सेवा की शुरुआत

-01 जनवरी से 31 मार्च तक चिह्नित गर्भवती महिलाओं का लिया जाएगा ब्लड सैम्पल:-

-संबंधित गर्भवती महिलाओं की एचआईवी के साथ हेपेटाइटिस बी-सी और सिफलिस संक्रमण की होगी जांच:-

-केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाएगी जांच रिपोर्ट, मरीजों को उपलब्ध कराई जाएगी चिकित्सकीय सहायता।

जिला के सरकारी चिकित्सकीय महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच) ओपीडी के महिला एवं प्रसूति विभाग में संचालित एसटीडी क्लीनिक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एचआईवी सेंटिनल सर्विसलेंस सेवा की शुरुआत की गई है।

जीएमसीएच ओपीडी के रूम नम्बर 03 और 15 में संचालित एसडीटी क्लीनिक में उपस्थित गर्भवती महिलाओं में चिह्नित गर्भवती महिलाओं की विशेष जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एचआईवी सेंटिनल सर्विसलान्स की शुरुआत की गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरे भारत के चिह्नित सेंटिनल क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं और होने वाले बच्चों को बेहतर जांच और चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सकीय जांच केंद्र की शुरुआत की गई है।

जीएमसीएच पूर्णिया में एचआईवी सेंटिनल सर्विसलान्स सेवा की शुरुआत एआरटी पूर्णिया के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सौरभ कुमार द्वारा फीता काटकर किया गया।

एचआईवी सेंटिनल सर्विसलान्स सेवा के दौरान जीएमसीएच पूर्णिया में प्रसव पूर्व जांच के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं में चिह्नित गर्भवती महिलाओं की एचआईवी के साथ साथ हेपेटाइटिस बी और सी एवं सिफलिस सेवा की जांच सुनिश्चित किया जाएगा।

जांच में संक्रमित पाए जाने पर संबंधित गर्भवती महिलाओं को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करते हुए सभी जांच सुविधा की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट किया जाएगा।

इससे केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित क्षेत्र में चिन्हित बीमारियों से ग्रसित गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु की पहचान करते हुए उन्हें इससे सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराते हुए संबंधित क्षेत्र को उन बीमारियों से सुरक्षित रखना सुनिश्चित किया जाएगा।

इस कार्यक्रम के लिए पूर्णिया जिले में साइट इंचार्ज के रूप में डॉ सौरभ कुमार और सहयोगी सहायक के रूप में जिला हेपेटाइटिस काउंसेलर संतन कुमार और लैब टेक्नीशियन शैलेंद्र दास को नियुक्त किया गया है।

01 जनवरी से 31 मार्च तक चिन्हित गर्भवती महिलाओं का लिया जाएगा ब्लड सैम्पल :

एसटीडी परामर्शी सह जिला हेपेटाइटिस समन्यवक संतन कुमार ने बताया कि जीएमसीएच पूर्णिया के ओपीडी में 01 जनवरी से 31 मार्च 2025 तक एचआईवी सेंटिनल सर्विसलान्स सेवा का संचालन निष्पादित किया जाएगा।

यह सर्विसलान्स पूरे भारत के सेंटिनल क्षेत्र में 01 जनवरी से 31 मार्च तक चलाया जाएगा। इसके अंतर्गत ओपीडी एसटीडी क्लीनिक में प्रसव पूर्व जांच सुविधा के लिए उपस्थित होने वाले गर्भवती महिलाओं में चिन्हित गर्भवती महिलाओं का मेडिकल परिस्थिति के अनुसार चिकित्सकीय जानकारी लेते हुए संबंधित गर्भवती महिलाओं का ब्लड सैंपल लेना सुनिश्चित किया जाएगा।

ब्लड सैंपल से संबंधित गर्भवती महिलाओं के 04 बीमारी ग्रसित होने की जानकारी ली जाएगी।

इसमें एचआईवी संक्रमण के साथ साथ हेपेटाइटिस बी व सी और सिफलिस ग्रसित होने की जानकारी ली जाएगी।

संबंधित गर्भवती महिलाओं का ब्लड सैंपल एकत्रित करते हुए विशेष जांच के लिए स्टेट रेफरल लैबोटेरोरी (एसआरएल) लैब भागलपुर मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा।

रिपोर्ट एकत्रित होने जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित डेटा केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट किया जाएगा। इसमें पूर्णिया जिले के गर्भवती महिलाओं की काउंसेलिंग और जांच रिपोर्ट शामिल रहेगा जिसके आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं और होने वाले बच्चों के इन 04 बीमारियों से ग्रसित होने की जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।

उसके अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय विभाग द्वारा संबंधित बीमारियों से बेहतर उपचार के लिए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराते हुए क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को संबंधित बीमारियों से सुरक्षित रखना सुनिश्चित किया जाएगा।

जांच रिपोर्ट के आधार पर उपलब्ध कराई जाएगी चिकित्सकीय सहायता :

डॉ सौरभ कुमार ने बताया कि एचआईवी सेंटिनल सर्विसलान्स सेवा के दौरान उपस्थित गर्भवती महिलाओं के 04 संबंधित बीमारियों से ग्रसित होने की जानकारी प्राप्त करते हुए संबंधित लोगों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान किया जाएगा।

इसके साथ ही संबंधित सभी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट किया जाएगा जिससे कि केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूर्णिया जिले में गर्भवती महिलाओं के संबंधित बीमारियों से ग्रसित होने की जानकारी ली जा सके।

इसके अनुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित बीमारियों से ग्रसित लोगों को आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराते हुए संबंधित बीमारियों से सुरक्षित रखना सुनिश्चित किया जा सकेगा।

डॉ सौरभ ने बताया कि जांच के बाद गर्भवती महिलाओं के सिफलिस और हेपेटाइटिस सी ग्रसित पाए जाने पर संबंधित लाभार्थियों को तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान करते हुए उसका उपचार सुनिश्चित किया जाएगा।

इससे लाभार्थी संबंधित बीमारियों से सुरक्षित रह सकते हैं।

कॉउंसलिंग और जांच के बाद संबंधित लाभार्थी एचआईवी और हेपेटाइटिस बी ग्रसित पाए जाने पर उसका सम्पूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता है।

ऐसे लाभार्थियों को जीएमसीएच से लिंकेज सुनिश्चित किया जाएगा ताकि संपूर्ण जीवन संबंधित लाभार्थी द्वारा उपचार सुविधा का लाभ उठाना सुनिश्चित किया जा सके।

विभिन्न बीमारी और उससे संबंधित मरीजों के लिए अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सकीय सहायता :

हेपेटाइटिस बी और सी : वायु संक्रमण, सेक्सुअल रिलेशन या नशा उपयोग से संबंधित लाभार्थी हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी से ग्रसित हो जाते हैं।

ग्रसित होने से संबंधित मरीज के लीवर संक्रमित हो जाता है जिससे उनके पाचन क्रिया कमजोर होने के साथ शारीरिक दुर्लभतम और ब्लड स्थिति अनियंत्रित हो जाता है।

ब्लड सैंपल के वायरल लोड से संबंधित मरीजों के हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी ग्रसित होने की जानकारी ली जा सकती है।

हेपेटाइटिस सी ग्रसित पाए जाने पर तीन महीने तक इलाज सुविधा उपलब्ध कराते हुए संबंधित व्यक्ति को सुरक्षित किया जा सकता है।

हेपेटाइटिस बी ग्रसित पाए जाने पर उसका संपूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता है।

इसे नियंत्रित रखने के लिए संबंधित मरीज़ को अस्पताल से आजीवन दवाई सुविधा का उपयोग करना सुनिश्चित करना चाहिए।

सिफलिस : यह सेंसुअली ट्रांसमीटर इंफेक्शन है जो यौन संचारित संक्रमण के कारण हो जाता है।

सिफलिस संक्रमित मां के समय पर जांच और इलाज नहीं होने पर होने वाला शिशु की जन्म से पहले अथवा जन्म के तत्काल बाद मृत्यु हो सकती है।

इस दौरान सुरक्षित रहने पर बच्चा जन्मजात अविकसित, अंधापन, गूंगापन या चर्मरोग से ग्रसित हो सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान 06 महीने के अंदर गर्भवती महिलाओं की जांच होने पर उन्हें सिफलिस संक्रमित पाए जाने पर संबंधित महिला और होने वाले शिशु को सिफलिस से सुरक्षित किया जा सकता है।

सिफलिस ग्रसित गर्भवती महिला को 06 माह से पूर्व चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इसमें संबंधित लाभार्थी को पहले दिन, 07वें दिन एवं 14वें दिन इंजेक्शन सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

इससे संबंधित महिला और होने वाला बच्चा सिफलिस ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकता है।

एचआईवी : एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला को होने वाले बच्चे को एचआईवी से सुरक्षित रखने के लिए प्रसव से पूर्व दवाई सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

इसके बाद होने वाले बच्चे को प्रसव उपरांत 72 घंटे के अंदर आवश्यक मेडिसिन उपलब्ध कराया जाता है जिससे कि बच्चा एचआईवी संक्रमण से सुरक्षित रह सकता है।

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