राजमहल पहाड़ मामले में एनजीटी का आया आदेश
अवैध खनन-क्रशर हो पुरी तरह से बंद-एनजीटी
ईडी ने जिले में हुए 1250 करोड़ के अवैध खनन का किंगपिन पंकज मिश्रा को बताते हुए एनजीटी में हलफनामा दाखिल की है
झारखंड प्रदुषण बोर्ड ने दायर किया 34 पन्ने का हलफनामा
झारखंड प्रदुषण बोर्ड को सम्पलीमेंटरी शपथपत्र दायर करने के लिए मिला दो सप्ताह का समय
203 पत्थर कारोबारियों पर 1,01,26,55,460/ रू का लगा था पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना
संशोधित पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना राशि 52,10,47,216/ रू में से 9,99,14,046/रू जमा
पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना जमा नहीं करने पर बंद होगा स्टोन माईंस व क्रशर
एनजीटी के आदेश से हटाएं गए झारखंड प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बक्शी पुनः बने सदस्य सचिव
एनजीटी ने जिले के डीसी,एसपी व डीएमओ के ख़िलाफ़ लगा चुका है दो-दो लाख रूपये का जुर्माना व निर्गत हो चुका है पचास-पचास हजार रुपये का जमानती वारंट
पत्थर कारोबारियों समेत पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारियों की अटकी हुई हैं सांसें
13 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
साहिबगंज।चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सह पर्यावरण प्रेमी सैयद अरशद नसर द्वारा ऐतिहासिक राजमहल पहाड़ की हो रही अंधाधुंध अवैध खनन व स्टोन क्रशर पर रोक लगा कर राजमहल पहाड़ को बचाने व संवर्धन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इस्टर्न जोन कोलकाता में दायर याचिका संख्या ओए-23/2017 की सुनवाई बीते 10 दिसम्बर को पीठ के जुडिशियल मेंबर न्यायमुर्ति बी.अमित स्थलेकर व एक्सपर्ट मेंबर डा.अरुण कुमार वर्मा ने की.सुनवाई में याचिकाकर्ता अरशद नसर की तरफ़ से कोलकाता हाईकोर्ट की विद्वान अधिवक्ता पौशाली बनर्जी तथा झारखंड सरकार,केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली व झारखंड राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड रांची की ओर से सरकारी अधिवक्ता क्रमशःएश्वर्या राज्यश्री,कुमार अनुराग सिंह,सुरेंद्र कुमार,देव आर्यन व मुकेश कुमार उपस्थित थे.झारखंड राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से 34 पन्ने का शपथपत्र 9 दिसम्बर को एनजीटी में दाखिल किया.एनजीटी ने इसे रिकॉर्ड पर रखते हुए आदेश सुरक्षित रख लिया.सोमवार को एनजीटी का आदेश आया.झारखंड राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एनजीटी को बताया की जिले के 203 पत्थर कारोबारियों पर एनजीटी के आदेश से 1 अरब 1 करोड़ 26 लाख 55 हजार 460 रूपये का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना लगाया गया था.12 पत्थर कारोबारियों पर लगे 3 करोड़ 26 लाख 32 हज़ार 810 रूपये के पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना को माफ़ कर दिया.7 पत्थर कारोबारियों पर 1 करोड़ 68 लाख 32 हज़ार 32 रूपये के पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना को संशोधित नहीं करने के चलते पुर्ण जुर्माना राशि जमा कर दिया.61 पत्थर कारोबारियों ने पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना राशि में संशोधन होने के पुर्व ही 6 करोड़ 22 लाख 29 हजार 77 रूपया जमा कर दिया.संशोधन के पश्चात इन 61 पत्थर कारोबारियों पर 5 करोड़ 84 लाख 36 हजार 814 रूपये का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना अधिरोपित किया.इस तरह 61 पत्थर कारोबारियों ने 37 लाख 92 हजार 263 रूपया अधिक जुर्माना जमा कर दिया.40 पत्थर कारोबारियों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना राशि को संशोधित करते हुए 23 करोड़ 52 हजार 802 रूपये का जुर्माना अधिरोपित किया.जिसमें 40 पत्थर कारोबारियों ने मात्र 2 करोड़ 8 लाख 52 हज़ार 937 रूपये जुर्माना जमा किया.83 पत्थर कारोबारियों पर लगे पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना राशि को संशोधित करते हुए 23 करोड़ 25 लाख 57 हज़ार 599 रूपये जुर्माना अधिरोपित किया.जिसमें 83 पत्थर कारोबारियों ने कोई जुर्माना राशि जमा नहीं किया.झारखंड राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड रांची ने एनजीटी को बताया कि 203 पत्थर कारोबारियों पर लगे पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना राशि 1 अरब 1 करोड़ 26 लाख 55 हज़ार 460 रूपये को संशोधित करते हुए 52 करोड़ 10 लाख 47 हज़ार 216 रूपया जुर्माना अधिरोपित किया.9 करोड़ 99 लाख 14 हज़ार 46 रूपया जुर्माना वसुल हो चुका व 42 करोड़ 11 लाख 33 हज़ार 170 रूपया जुर्माना वसुल होना बाकी है.बीते 03 दिसम्बर को झारखंड प्रदुषण बोर्ड मुख्यालय रांची व क्षेत्रीय प्रदुषण कार्यालय दुमका के सुचना पट्ट पर व समाचार पत्रों में नोटिस प्रकाशित कर 83 पत्थर कारोबारियों को एक सप्ताह के भीतर व 40 पत्थर कारोबारियों को एक माह के भीतर अधिरोपित पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना राशि जमा करने को कहा गया है अन्यथा पत्थर कारोबारियों के इकाइयों के विरुद्ध जल (प्रदुषण निवारण एवं नियंत्रण)अधिनियम,1974 एवं वायु(प्रदुषण निवारण एवं नियंत्रण)अधिनियम,1981 के संबंधित धाराओं के अन्तर्गत बंदी आदेश निर्गत करने का अल्टीमेटम दिया गया है.सुनवाई के दौरान झारखंड राज्य प्रदुषण बोर्ड ने एनजीटी से आग्रह किया की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना राशि को सत्यापित व संशोधित किया गया है.इसे और स्पष्ट करने के लिए पुरक हलफनामा दायर करने की अनुमति एनजीटी से मांगा.जिसे स्वीकार करते हुए पुरक शपथपत्र दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय देते हुए एनजीटी ने इस मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी निर्धारित किया है.बताते चलें की एनजीटी ने जिले में संचालित अवैध खनन व स्टोन क्रशर पर पुर्ण रूप से रोक लगाने का आदेश पारित करते हुए जिले में हुए अवैध खनन व संचालित हुए अवैध स्टोन क्रशर के लिए राज्य सरकार को दोषी सरकारी पदाधिकारियों को चिन्हित कर एफआईआर दर्ज करने का भी आदेश बीते वर्ष पारित किया है. एनजीटी में ईडी ने जिले में हुए 1250 करोड़ से अधिक के अवैध खनन व परिवहन का किंगपिन राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को बताते हुए जांच जारी रहने का हलफनामा दाखिल किया है.एनजीटी ने झारखंड राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के तत्कालीन सदस्य सचिव राजीव लोचन बक्शी को वर्ष 2022 में सदस्य सचिव के पद से हटाने का आदेश पारित किया था जिसके पश्चात् सरकार ने इन्हें हटा दिया.बीते अक्टूबर माह में सरकार ने इन्हें पुनःझारखंड प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड का सदस्य सचिव बना दिया.एनजीटी ने वर्ष 2019 में जिले के तत्कालीन डीसी,एसपी व डीएमओ के ख़िलाफ़ पचास-पचास हजार रूपये का जमानती वारंट निर्गत करते हुए दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगा चुका है व एनजीटी के आदेश से जिले के सैंकड़ों स्टोन माईंस व क्रशर पर पुलिस-प्रशासन का हथौड़ा चल चुका है.एनजीटी के कड़े रूख व तल्ख तेवर के चलते पुलिस-प्रशासनिक पदाधिकारियों समेत पत्थर कारोबारियों व माफियाओं की सांसें अटकी हुई है.अब सभी की नजरें झारखंड राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा होने वाली कार्रवाई व 13 फरवरी की सुनवाई पर टिक गईं है.