त्रिस्तरीय पंचायत के वार्ड सदस्यों के अधिकारों में कटौती के कारण जनता परेशान—विजय कुमार सिन्हा।
पंचायत प्रतिनिधियों का सरकार नहीं कर रही है सम्मान।
प्रखंड स्तर के पदाधिकारी हैं पंचायतों में अराजकता और भ्रष्टाचार के जिम्मेवार,पर कार्रवाई वार्ड सदस्यों पर,
पंचायती राज व्यवस्था को महा गठबंधन सरकार ने किया नाकाम।
पटना,06 जनवरी 2024
बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि महागठबंधन सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती कर इसे भ्रष्टाचार एवं अराजकता के दलदल में धकेल दिया है।
श्री सिन्हा ने कहा कि वार्ड सदस्य सबसे निचले स्तर के जन-प्रतिनिधि होते हैं। इन्हें अपने वार्ड की खूबी और खामी का पता रहता है। छोटी इकाई में ही इनकी गतिविधि रहती है। फलस्वरूप तेजी से विकास होता है। परन्तु सरकार ने वार्ड सदस्यों के अधिकारों में कटौती कर इन्हें निष्प्राण कर दिया है। जनता परेशान हो गई है। वार्ड सदस्य आंदोलन का भी सहारा ले रहे हैं। इनकी 9 सूत्री मांग है। नियमावली 2017 के तहत वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के खाता में सात निश्चय पार्ट-2 का रूपया सीधे वार्ड के बैंक खातों में भेजने की माँग है।साथ ही पूर्ण प्रभार,वार्ड सभा में सरकारी सचिव,वार्ड सदस्यों की सुरक्षा, शिलापट्ट पर नाम एवं एम.पी-एम एल ए के तहत इन्हें भी पेंशन-वेतन की मांग है।
श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार वार्ड सदस्यों के साथ दोहरी नीति अपना रही है। इन्हें न तो अधिकारी सम्मान देते हैं और न ही मुखिया। इनका हाल करो या मरो जैसी हो गई है। केंद्र सरकार के द्वारा पंचायतों को प्राप्त राशि की लूट तो अधिकारी करते हैं पर इसका खामियाजा वार्ड सदस्यों को भुगतना पड़ता है।नल जल योजना में लूट सरकार प्रायोजित है पर एफ आई आर पदाधिकारी पर नहीं कर वार्ड सदस्यों पर किया जाता है।यह प्रताड़ना वंद होनी चाहिए।
श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार पंचायतों के साथ दिन प्रतिदिन प्रयोग कररही है।पुनः BDO को कार्यपालक पदाधिकारी का प्रभार नियमावली में संशोधन कर दिया गया।सी.ओ, बी.डी.ओ और सी.डी.पी.ओ की तिकड़ी में पंचायत प्रतिनिधि पिस रहे हैं। ये मुखिया एवं अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से जबरन पैसा उगाही कराते हैं। फलस्वरूप पंचायतों में अराजकता और भ्रष्टाचार चरम पर है।
श्री सिन्हा ने सरकार से माँग की है कि पंचायत प्रतिनिधियों को संविधान प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करने की छूट दी जाये। इससे इनका मनोबल बढ़ेगा और विकास कार्य में तेजी आयेगी। साथ ही वाार्ड सदस्यों के अधिकारों को भी पुनः बहाल की जाय।